प्यार की परिभाषा
परिभाषा दे तू अथाह प्यार की
तो इस जीवन का सार मिले |
सिमट गयी जो शिव जटा में ...
उस गंगा को भी धार मिले ||
चाह नहीं मै सब कुछ पा लूं ...
पर इतना तो अधिकार मिले |
कि जब जब देखूं स्वप्न तेरा ...
मुझे दिव्य अलौकिक प्यार मिले ||
तू आने वाले कल की सोचे ......... वर्तमान पर तेरा ध्यान नहीं |
ये जीवन किसने देखा है ............. है प्यार मेरा ये विज्ञान नहीं ||
तुम संग चलो बस बाहें डाले ...सब भूलके बंधन , भूल के ताले |
सूरज जब अपना चमकेगा .......... मिट जायेंगे ये बादल काले ||
खुशियों की भी एक दुनिया है ....गम का भी जिसमे हिस्सा है |
धुप छाँव में सिमटा - लिपटा ....... अपना ये सुन्दर किस्सा है ||
आ पास मेरे तू बैठ ज़रा ...................... जो होना है हो जायेगा |
यूं दूर सदा रहकर मुझसे .................... तू मुझे भूल न पायेगा ||
बस यही प्रार्थना प्रभु से मेरी ...
तुझको आनंद सृजित संसार मिले |
जीवन के कोरे पृष्ठों पर ...
अंकित अदभुत प्रेम पुष्प श्रृंगार मिले ||
परिभाषा दे तू अथाह प्यार की
तो इस जीवन का सार मिले |
सिमट गयी जो शिव जटा में ...
उस गंगा को भी धार मिले ||
--- कविराज तरुण
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