Thursday 24 August 2017

ग़ज़ल 25- वो रूठ जाता है

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ख़फ़ा होता है' जब मुझसे बहुत ही दूर जाता है ।
बिताये जो हसीं लम्हे , वक़त वो भूल जाता है ।।

ठहर जाऊँ कभी उसकी गली में और चौखट पे ।
चला जाता वो' छज्जे से मिरा दिल टूट जाता है ।।

नज़र मुददत से' मिलती है करूँ दीदार कैसे मै ।
पलक उठती नही उसकी हमेशा रूठ जाता है ।।

शिकायत हैं बड़ी शायद वफ़ा की बात मत पूछो ।
सफाई दे नही पाते ये' लम्हा छूट जाता है ।।

इनायत भी खुदा की रूबरू होती नही मुझसे ।
मिरे हिस्से की' ये दौलत , तरुण वो लूट जाता है ।।

कविराज तरुण

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